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ट्रंप का गाजा शांति प्रस्ताव और हमास की आंशिक सहमति: मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया के लिए एक नया मोड़

Oct 05, 2025  Mrs. Zelma Maggio V  25 views
ट्रंप का गाजा शांति प्रस्ताव और हमास की आंशिक सहमति: मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया के लिए एक नया मोड़

परिचय: गाजा संकट और एक अप्रत्याशित कूटनीतिक पहल

 

मध्य पूर्व, विशेष रूप से गाजा पट्टी क्षेत्र, दशकों से इजरायल और फिलिस्तीनी समूहों, विशेषकर हमास, के बीच संघर्ष का केंद्र रहा है। यह संघर्ष केवल एक क्षेत्रीय विवाद नहीं है, बल्कि एक जटिल भू-राजनीतिक गाँठ है जिसने वैश्विक राजनीति, सुरक्षा और मानवाधिकारों को प्रभावित किया है। ऐसे में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तुत एक नए गाजा शांति प्रस्ताव पर हमास की ओर से बंधकों की रिहाई और शांति स्थापित करने के लिए कुछ हिस्सों को स्वीकार करने की आंशिक सहमति, एक असाधारण और अप्रत्याशित कूटनीतिक मोड़ है।

यह घटनाक्रम इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने के पारंपरिक तरीकों से हटकर है। जहाँ पिछले शांति प्रयास अक्सर विफल रहे हैं, वहीं ट्रंप के व्यापार-केंद्रित और गैर-पारंपरिक कूटनीति के दृष्टिकोण ने संभवतः एक ऐसा दरवाज़ा खोला है जिसे पहले असंभव माना जाता था। यह मसौदा इस प्रस्ताव की प्रकृति, हमास की सहमति के निहितार्थ, इजरायल की संभावित प्रतिक्रिया, भारत और अन्य वैश्विक शक्तियों के रुख और इस शांति प्रयास के सामने मौजूद अभूतपूर्व चुनौतियों का विश्लेषण करता है।


 

I. ट्रंप के शांति प्रस्ताव की प्रकृति: 'डील ऑफ द सेंचुरी' का नया अध्याय

 

ट्रंप प्रशासन की विदेश नीति का मुख्य केंद्र अक्सर 'डील' करना रहा है। यह नया गाजा प्रस्ताव, उनके पहले के 'डील ऑफ द सेंचुरी' (जो 2020 में पेश किया गया था और फिलिस्तीनियों द्वारा खारिज कर दिया गया था) की तुलना में अधिक लक्षित हो सकता है।

 

1. प्रस्ताव के संभावित मुख्य बिंदु (विश्लेषणात्मक अनुमान)

 

किसी भी सफल प्रस्ताव में निम्नलिखित तीन स्तंभों पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक होगा:

  • मानवीय और सुरक्षात्मक स्तंभ (तत्काल प्राथमिकता):
    • बंधकों की रिहाई: हमास द्वारा इजरायली बंधकों को बिना शर्त या चरणबद्ध तरीके से रिहा करना।
    • संघर्ष विराम: गाजा में स्थायी या दीर्घकालिक संघर्ष विराम (Ceasefire) लागू करना।
    • मानवीय सहायता: गाजा में मानवीय सहायता और निर्माण सामग्री की निर्बाध आपूर्ति की गारंटी।
  • आर्थिक और विकास स्तंभ (दीर्घकालिक स्थिरता):
    • गाजा का पुनर्निर्माण: गाजा के बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के लिए बहु-अरब डॉलर का अंतर्राष्ट्रीय निवेश पैकेज।
    • आर्थिक गलियारे: गाजा को बाहरी दुनिया से जोड़ने वाले समुद्री/भूमि गलियारों की स्थापना, जो सख्त इजरायली सुरक्षा निगरानी के तहत हों।
    • रोजगार सृजन: गाजा के निवासियों के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करना।
  • राजनीतिक और भविष्य स्तंभ (अंतिम स्थिति):
    • हमास की भूमिका: हमास के राजनीतिक विंग की मान्यता और उसके निशस्त्रीकरण (Disarmament) की प्रक्रिया पर चर्चा।
    • प्रशासनिक परिवर्तन: गाजा का प्रशासन फिलिस्तीनी प्राधिकरण (PA) या एक नई अंतर्राष्ट्रीय निगरानी संस्था को सौंपना।
    • इजरायल की सुरक्षा गारंटी: इजरायल को हमास के हमलों से स्थायी सुरक्षा की गारंटी।

 

2. 'दबाव की कूटनीति' (Diplomacy of Pressure)

 

यह प्रस्ताव कतर, मिस्र और सऊदी अरब जैसे प्रमुख अरब देशों के वित्तीय और राजनीतिक दबाव के साथ आया होगा। ट्रंप की कूटनीति की सफलता अक्सर सहयोगी देशों पर स्पष्ट और कठोर मांगों को रखने की उनकी क्षमता पर निर्भर करती है।


 

II. हमास की आंशिक सहमति के निहितार्थ

 

हमास, जिसे अमेरिका और इजरायल सहित कई देशों द्वारा एक आतंकवादी संगठन माना जाता है, द्वारा शांति प्रस्ताव को स्वीकार करना एक बड़ा भू-राजनीतिक बदलाव है।

 

1. आंतरिक और बाहरी दबाव

 

  • गाजा की मानवीय स्थिति: गाजा में निरंतर घेराबंदी और युद्ध से उपजी भारी मानवीय त्रासदी हमास पर दबाव का मुख्य कारण हो सकती है। लोग शांति और पुनर्निर्माण चाहते हैं, जिससे हमास पर अपनी कठोर स्थिति बदलने का आंतरिक दबाव बढ़ा होगा।
  • वित्तीय और राजनीतिक अलगाव: प्रमुख क्षेत्रीय संरक्षकों (Patrons) से वित्तीय सहायता कम होने या उन्हें राजनीतिक रूप से अलग-थलग किए जाने का डर भी सहमति का कारण हो सकता है।

 

2. 'आंशिक सहमति' का खतरा

 

हमास द्वारा "कुछ हिस्सों" को स्वीकार करने का मतलब है कि वे प्रस्ताव के मुख्य राजनीतिक या सुरक्षा-संबंधी शर्तों को अभी भी अस्वीकार कर सकते हैं। हमास की मुख्य चिंताएँ निशस्त्रीकरण और इजरायल को मान्यता देने के इर्द-गिर्द घूमती होंगी। 'आंशिक सहमति' संभावित रूप से एक रणनीति हो सकती है ताकि मानवीय और आर्थिक लाभ तो प्राप्त किए जा सकें, लेकिन अपनी सैन्य शक्ति और राजनीतिक नियंत्रण को बनाए रखा जा सके।

 

3. इजरायल और फिलिस्तीनी प्राधिकरण (PA) की प्रतिक्रिया

 

  • इजरायल: इजरायली नेतृत्व को सुरक्षा की गारंटी चाहिए। वे किसी भी ऐसे सौदे को अस्वीकार कर सकते हैं जो हमास को किसी भी रूप में वैध बनाता हो या गाजा में उसकी सैन्य क्षमता को बरकरार रखता हो। ट्रंप के साथ उनके मजबूत संबंध के कारण वे इस पर विचार कर सकते हैं, लेकिन सुरक्षा से समझौता नहीं करेंगे।
  • फिलिस्तीनी प्राधिकरण (PA): PA, जो गाजा पर अपना नियंत्रण खो चुका है, इस प्रस्ताव पर विभाजित होगा। वे गाजा पर नियंत्रण वापस पाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें डर होगा कि यह सौदा उन्हें 'डील ऑफ द सेंचुरी' के तहत प्रस्तावित सीमाओं के भीतर एक सीमित फिलिस्तीनी राज्य स्वीकार करने के लिए मजबूर कर सकता है।

 

III. वैश्विक भू-राजनीतिक प्रभाव और भारत का रुख

 

यह शांति पहल विश्व शक्तियों के बीच की जटिल गतिशीलता को प्रभावित करती है।

 

1. अरब जगत की भूमिका

 

सऊदी अरब, मिस्र, जॉर्डन और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे देश स्थिरता चाहते हैं। यदि प्रस्ताव गाजा को ध्वस्त होने से बचाता है और क्षेत्रीय स्थिरता लाता है, तो वे इसे समर्थन देंगे, खासकर अगर यह उन्हें ईरान के क्षेत्रीय प्रभाव का मुकाबला करने में मदद करता है। इन देशों की ओर से पुनर्निर्माण के लिए भारी वित्तीय सहायता की उम्मीद होगी।

 

2. ईरान और उसके प्रॉक्सी

 

ईरान और लेबनान में हिज़्बुल्लाह जैसे उसके सहयोगी इस समझौते को अमेरिकी और इजरायली वर्चस्व के रूप में देख सकते हैं। वे इस शांति प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश कर सकते हैं, जिससे क्षेत्र में अस्थिरता और बढ़ सकती है।

 

3. भारत का रुख

 

भारत ऐतिहासिक रूप से फिलिस्तीनी राष्ट्रवाद का समर्थक रहा है, साथ ही उसके इजरायल के साथ मजबूत संबंध हैं।

  • PM मोदी का कूटनीतिक संतुलन: भारत इस पहल का स्वागत करेगा, जैसा कि उन्होंने अतीत में ट्रंप के प्रयासों का किया था (यदि यह शांति की दिशा में आगे बढ़ता है)। भारत 'निर्णायक प्रगति' और 'स्थायी और न्यायपूर्ण शांति' का समर्थन करने की बात कहेगा।
  • लाभ: क्षेत्रीय स्थिरता भारत के आर्थिक हितों के लिए अच्छी है, खासकर आईएमईसी (IMEC) जैसे गलियारों के संदर्भ में, जो मध्य पूर्व से होकर गुजरते हैं। भारत एक सुरक्षित और स्थिर गाजा के पुनर्निर्माण में तकनीकी और मानवीय सहायता देने की पेशकश कर सकता है।

 

IV. आगे की चुनौतियाँ: विश्वास की कमी और कार्यान्वयन की कठिनाई

 

इस प्रस्ताव की सफलता की राह में कई बड़ी और दीर्घकालिक चुनौतियाँ हैं:

  1. आपसी विश्वास की कमी: दशकों के संघर्ष ने इजरायल और हमास के बीच शून्य विश्वास पैदा कर दिया है। किसी भी समझौते को लागू करने में आपसी विश्वास की कमी सबसे बड़ी बाधा होगी।
  2. हमास का पूर्ण निशस्त्रीकरण: इजरायल हमास के सैन्य विंग के पूर्ण निशस्त्रीकरण से कम पर राजी नहीं होगा, जबकि हमास इसे अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है।
  3. राजनीतिक अस्थिरता: ट्रंप प्रशासन की अनिश्चितता और गाजा में प्रशासन की समस्या (क्या PA वापस आएगा?) इस डील के दीर्घकालिक अस्तित्व पर सवाल खड़ा करती है।
  4. फिलिस्तीनी जनमत: यदि यह सौदा 1967 की सीमाओं के आधार पर दो-राज्य समाधान (Two-State Solution) की संभावना को समाप्त करता है, तो शेष फिलिस्तीनी नेतृत्व और आम जनता इसे अस्वीकार कर सकती है।

 

निष्कर्ष

 

हमास द्वारा ट्रंप के शांति प्रस्ताव के कुछ हिस्सों को स्वीकार करना मध्य पूर्व में एक अभूतपूर्व और नाजुक क्षण है। यह दर्शाता है कि अभूतपूर्व दबाव और मानवीय संकट के तहत, शत्रु भी वार्ता की मेज पर आने के लिए मजबूर हो सकते हैं। यह 'आंशिक सहमति' एक लंबा और खतरनाक रास्ता खोलती है। यह डील, यदि सफलतापूर्वक लागू हो जाती है, तो गाजा में बंधकों की वापसी, संघर्ष विराम और पुनर्निर्माण की शुरुआत कर सकती है, जो मानवीय रूप से अत्यंत आवश्यक है। हालांकि, इसकी अंतिम सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि क्या इजरायल सुरक्षा की गारंटी, हमास सैन्य विंग के भविष्य, और फिलिस्तीनी राज्यत्व के व्यापक प्रश्न का समाधान करने वाली शर्तों पर सहमत होता है। यह सिर्फ एक क्षेत्रीय विवाद नहीं है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति और नेतृत्व के धैर्य की अग्निपरीक्षा है।


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