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नवजात शिशुओं के लिए कफ सिरप पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की चेतावनी: क्यों न दें 2 साल से कम उम्र के बच्चों को सिरप?

Oct 05, 2025  Devyn Ryan  27 views
नवजात शिशुओं के लिए कफ सिरप पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की चेतावनी: क्यों न दें 2 साल से कम उम्र के बच्चों को सिरप?

केंद्र सरकार की स्पष्ट चेतावनी

 

भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बार फिर से माता-पिता और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को आगाह किया है कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार का ओवर-द-काउंटर (OTC) कफ सिरप न दिया जाए। यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब देश के विभिन्न हिस्सों से कुछ कफ सिरप में दूषित पदार्थों की मौजूदगी के कारण बच्चों की मौत की दुःखद ख़बरें सामने आई हैं। सरकार की यह सलाह न केवल सुरक्षा चिंताओं से उपजी है, बल्कि वैज्ञानिक प्रमाणों पर भी आधारित है जो बताते हैं कि शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए कफ सिरप हानिकारक हो सकते हैं।


 

विशेषज्ञ क्यों करते हैं कफ सिरप से मना?

 

कफ सिरप में आमतौर पर सक्रिय सामग्री (Active Ingredients) के रूप में ऐसे रसायन होते हैं जो वयस्कों को राहत पहुँचाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। हालांकि, ये छोटे बच्चों के शरीर पर अप्रत्याशित और अक्सर खतरनाक प्रभाव डाल सकते हैं। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

 

1. सिद्ध प्रभावकारिता का अभाव (Lack of Efficacy)

 

दुनिया भर के बाल रोग विशेषज्ञ और नियामक संस्थाएँ, जैसे कि अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (AAP), यह मानती हैं कि 6 साल से कम उम्र के बच्चों में खांसी या सर्दी के इलाज के लिए ओवर-द-काउंटर कफ सिरप का कोई सिद्ध वैज्ञानिक लाभ नहीं है। बच्चों में खांसी आमतौर पर एक स्व-सीमित (Self-limiting) स्थिति होती है जो शरीर की संक्रमण से लड़ने की प्राकृतिक प्रक्रिया का हिस्सा है और समय के साथ अपने आप ठीक हो जाती है।

 

2. गंभीर दुष्प्रभाव और जोखिम

 

कफ सिरप में पाए जाने वाले सामान्य तत्व शिशुओं के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं:

  • एंटीहिस्टामाइन (Antihistamines): ये दवाएं बच्चों में अत्यधिक नींद (drowsiness) पैदा कर सकती हैं, जिससे उनका सांस लेना धीमा हो सकता है। कुछ मामलों में, ये दवाएं विरोधाभासी रूप से उत्तेजना (excitement) और अनिद्रा भी पैदा कर सकती हैं।
  • डिकंजेस्टेंट (Decongestants): ये दवाएं नाक को खोलने का काम करती हैं, लेकिन शिशुओं में तेज़ हृदय गति (rapid heart rate), दौरे या रक्तचाप में वृद्धि का कारण बन सकती हैं।
  • खांसी सप्रेसेंट (Cough Suppressants - जैसे डेक्सट्रोमेथॉर्फ़न): ये केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं और अत्यधिक मात्रा में दिए जाने पर भ्रम (confusion), दौरे या श्वसन अवसाद (Respiratory Depression) का कारण बन सकते हैं, जहाँ बच्चा ठीक से सांस नहीं ले पाता।

 

3. खुराक में त्रुटि का उच्च जोखिम

 

छोटे बच्चों को दवा की खुराक उनके वजन के आधार पर बहुत सावधानी से देनी होती है। कफ सिरप की बोतलों पर दी गई सामान्य वयस्क या बड़े बच्चों की खुराक का इस्तेमाल करने से ओवरडोज का खतरा बहुत बढ़ जाता है, खासकर जब माता-पिता विभिन्न प्रकार की दवाओं (जैसे कि दर्द निवारक और सिरप) को एक साथ मिला देते हैं।

 

4. दूषित पदार्थों का खतरा

 

सबसे बड़ा और हालिया खतरा डायथाइलिन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) जैसे जहरीले औद्योगिक विलायकों के कारण होता है। ये रसायन सस्ते होने के कारण दवा निर्माण में इस्तेमाल किए जाते हैं, और शिशुओं में इनकी थोड़ी मात्रा भी गुर्दे की गंभीर विफलता और तत्काल मृत्यु का कारण बन सकती है। केंद्र सरकार की यह चेतावनी विशेष रूप से इस खतरे को ध्यान में रखते हुए जारी की गई है ताकि शिशुओं को किसी भी अनजाने जोखिम से बचाया जा सके।


 

माता-पिता और देखभाल करने वालों के लिए सुरक्षित विकल्प

 

चूंकि कफ सिरप अक्सर बच्चों की सर्दी-खांसी के लिए आवश्यक नहीं होते हैं, माता-पिता को राहत के लिए सुरक्षित और प्राकृतिक तरीकों का उपयोग करना चाहिए। हालांकि, किसी भी बीमारी के लिए सबसे पहले बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लेना अनिवार्य है।

स्थितिसुरक्षित उपाय (डॉक्टर की सलाह पर)
बंद नाक (Stuffy Nose)सलाइन ड्रॉप्स (Saline Drops): बंद नाक खोलने के लिए सलाइन नेज़ल ड्रॉप्स या स्प्रे का उपयोग करें।
 ह्यूमिडिफ़ायर (Humidifier): कमरे में ठंडी धुंध (cool-mist) वाला ह्यूमिडिफ़ायर चलाने से बच्चे की नाक और गले को आराम मिलता है।
खांसी और गला दर्दशिशु को ऊपर उठाना: सोते समय सिर को थोड़ा ऊपर रखने से खांसी कम हो सकती है।
 पर्याप्त तरल पदार्थ: शिशु को पर्याप्त मात्रा में स्तनपान या फ़ॉर्मूला दूध दें ताकि वे हाइड्रेटेड रहें।
1 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिएशहद (Honey): एक साल से अधिक उम्र के बच्चों को रात में आधा चम्मच शहद देने से खांसी शांत करने में मदद मिल सकती है (शिशुओं को शहद नहीं देना चाहिए)।

 

स्वास्थ्य मंत्रालय का संदेश और आगे की राह

 

केंद्र सरकार की यह चेतावनी एक मजबूत संदेश देती है कि नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा सर्वोपरि है। इस दिशा में सरकार ने कदम उठाए हैं:

  1. कड़े नियामक निर्देश: दवा निर्माताओं को दूषित पदार्थों के लिए कच्चे माल के अनिवार्य परीक्षण, खासकर DEG और EG के लिए, को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
  2. जागरूकता अभियान: स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है कि वे माता-पिता को इन जोखिमों के बारे में बताएं।
  3. ओवरडोज को रोकना: यह सुनिश्चित करना कि दवाएँ केवल डॉक्टर के पर्चे (Prescription) पर ही दी जाएँ और फार्मासिस्टों को OTC दवाओं के खतरों के बारे में शिक्षित करना।

माता-पिता को यह समझना चाहिए कि शिशुओं के लिए किसी भी दवा का उपयोग केवल तभी किया जाना चाहिए जब वह बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा विशेष रूप से अनुशंसित की गई हो। सर्दी-खांसी जैसे हल्के लक्षणों को अक्सर सुरक्षित घरेलू उपायों से प्रबंधित किया जा सकता है। किसी भी गंभीर लक्षण (जैसे सांस लेने में तकलीफ, तेज़ बुखार, या लगातार उल्टी) के मामले में, तुरंत चिकित्सा सहायता लेना सबसे महत्वपूर्ण है।

याद रखें: 2 साल से कम उम्र के बच्चे के लिए, कफ सिरप में लाभ से ज़्यादा जोखिम हो सकता है।


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